
आज अकोला ज़िले में मंच लगा, माइक सजा और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जी ने विकास की बारिश करेंगे। एक ही दिन में 21 विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन होंगा। आंकड़ा सुनिए — ₹2588.05 करोड़। जी हां, दो हज़ार पाँच सौ अठासी करोड़ रुपये। मगर मेरे सवाल वही हैं — यह सिर्फ शिलान्यास है या सच में नींव रखी गई है?
पूर्णा नदी पर बॅरेज, पशुवैद्यक महाविद्यालय, मलनि:सारण योजना, ई-बस डिपो, नवनिर्मित सड़कों से लेकर जलतरण तलाव और सांस्कृतिक भवन तक… हर चीज़ का आज भूमिपूजन हुआ। जिले के ग्रामीण इलाकों में सौर ऊर्जा के भी दो प्रकल्प शामिल हैं। अच्छा है, ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की सोच दिखाई दे रही है।
लेकिन इन सभी घोषणाओं में एक सवाल छुपा है — क्या ये सिर्फ कागज़ों पर विकास है? क्या ये काम धरातल पर दिखेंगे या फिर ये भी अन्य उद्घाटन जैसे समय की धूल में दब जाएंगे?
शहर में CCTV लगेंगे, नए पुलिस क्वार्टर बनेंगे, नई प्रशासनिक इमारतें खड़ी होंगी, खेल संकुल और अस्पतालों का विस्तार होगा। सुनने में बहुत अच्छा लगता है।
लेकिन इस रिपोर्टिंग में मेरी भूमिका सिर्फ बताना नहीं है, बल्कि याद दिलाना भी है — कि विकास सिर्फ मंच से नहीं, ज़मीन से दिखना चाहिए।