हातरुण में शिक्षा के नाम पर बड़ा खेल सामने आया है।
संजय गांधी उर्दू हाईस्कूल और जूनियर कॉलेज पर टी.सी. न देने का आरोप लगाया गया।
जबकि सच यह है कि अय्यूब खान के बच्चे की टी.सी. पहले ही दी जा चुकी है, और प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाए गए अन्य चेहरों के बच्चे इस स्कूल में पढ़ते ही नहीं।
दूसरी ओर, आरेफा उर्दू प्राथमिक स्कूल का 122 किलोमीटर दूर से गैरकानूनी तरीके से हस्तांतरण कराया गया।
राज्य नीति के अनुसार, स्कूल माइग्रेशन अधिकतम 20 किमी के भीतर होना चाहिए।
किराए के जिस भवन का उल्लेख किया गया है, ऐसी कोई इमारत हकीकत में मौजूद नहीं है।
इसी तरह, इकरा इंग्लिश स्कूल बिना U-DISE नंबर और सरकारी मान्यता के अवैध रूप से चल रही है।
शिक्षा विभाग अब तक चुप्पी साधे बैठा है।
संजय गांधी स्कूल की प्राचार्या ने बार-बार विभाग से मार्गदर्शन मांगा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
इसके विपरीत, स्कूल के खिलाफ झूठी प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई।
पूरा मामला अब हाईकोर्ट में विचाराधीन है, और नोटिस जारी हो चुके हैं।
सवाल यह है की क्या शिक्षा विभाग की मिलीभगत से यह खेल हो रहा है?
बच्चों के भविष्य के साथ यह खिलवाड़ कब रुकेगा?
गैरकानूनी स्कूलों पर कार्रवाई कब होगी?
शिक्षा को राजनीति से कब आज़ाद किया जाएगा?
