आज की हमारी रिपोर्ट उस अपराध की है, जो न सिर्फ एक बस्ती की शांति को चीर गया, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है — क्या गुस्सा अब लोहे की तलवार बन गया है?
10 जुलाई 2025 की रात, अकोला के कृषी नगर में दो पक्षों के बीच की रंजिश हिंसा में बदल गई। शिकायतकर्ता सतिश रघुनाथ वानखडे और आकाश गवई पर जानलेवा हमला किया गया — लाठी, लोखंडी पाइप, तलवारें, और यहां तक कि देशी कट्टा जैसे हथियारों से लैस होकर आरोपियों ने हमला बोला।
पुलिस ने IPC की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया और तुरंत कार्रवाई शुरू की। फरार आरोपियों को ढूंढने की ज़िम्मेदारी स्थानीय गुन्हे शाखा को दी गई। अकोला पुलिस अधीक्षक अर्चित चांडक, अपर अधीक्षक चंद्रकांत रेड्डी के निर्देश पर पीआई शंकर शेळके व पीएसआई विष्णु बोडखे की टीम ने गुप्त जानकारी और तकनीकी विश्लेषण के ज़रिए बुलढाणा ज़िले के नागझरी गांव में दबिश दी।
पकड़े गए आरोपी हैं:
- निखील उर्फ बंटी चव्हाटे (24 वर्ष)
- अनिकेत विनोद गवई (23 वर्ष)
- अनिकेत दीपक सावळे (22 वर्ष)
- धम्मपाल शामराव तायडे (24 वर्ष)
- शंतनु गोपाल तायडे (22 वर्ष)
- आकाश उर्फ दादु उत्तम खडसे (26 वर्ष)
इनमें से एक आरोपी के पास से 1 देशी कट्टा और 1 जिंदा काडतूस बरामद किया गया जिसकी कीमत ₹35,500 आँकी गई।
इस कार्रवाई में पुलिसकर्मी रवि खंडारे, अब्दुल माजिद, शेख वसीम, किशोर सोनोने, महेंद्र मलिये, अविनाश पाचपोर, एजाज अहमद, अशोक सोनवणे, अमोल दीपके और चालक देवानंद खरात की भूमिका भी सराहनीय रही।
ये सिर्फ गिरफ्तारी नहीं है, ये उस भरोसे की वापसी है जो आम आदमी को पुलिस पर होना चाहिए।