अकोला महानगरपालिका में कुछ ऐसा हुआ जो सीरियस भी था और हल्का-फुल्का मनोरंजक भी। AIMIM कार्यकर्ता सीधे कमिश्नर साहब के चेंबर पर चढ़ गए — न चाय का वक़्त देखा, न मीटिंग की परमीशन। नारों की बारिश शुरू — “आवाज़ दो, हम एक हैं!” और सबसे हिट डायलॉग: “ना ये किसी के बाप की जागीर है – ये हमारा हक़ है, हमारा घर है!”
मुद्दा गंभीर था — 2017 के शासन निर्णय के बावजूद प्रभाग 1, 2, 7 समेत कई इलाकों को घरकुल योजना से अब तक वंचित रखा गया। AIMIM ने कहा, “निवेदन बहुत हो गए, अब चाहिए निर्णय!

पुलिस बीच में आई, समझौता हुआ, और सोमवार को बैठक तय हुई — उम्मीद है इस बार बिना नारे, सिर्फ़ चर्चा से हल निकलेगा।
नेतृत्व कर रहे थे आसिफ अहमद खान और जावेद पठान। आख़िरी संदेश था – “गरीब का सपना अधूरा नहीं रहेगा, ज़रूरत पड़ी तो अगली बार DJ और ढोल-नगाड़ों के साथ आएंगे!”