जब मस्जिदें सिर्फ इबादत की जगह नहीं, बल्कि तकनीक और तरक्की की मिसाल बनने लगें, तो समझिए कुछ अच्छा हो रहा है। अकोला की 135 साल पुरानी कच्छी मस्जिद ने ऐसा ही एक साहसी और सौम्य कदम उठाया है।
आज जहां ध्वनि को लेकर विवाद आम बात हो चुकी है, वहीं कच्छी मस्जिद ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का सम्मान करते हुए ‘कच्छी मस्जिद अजान ऐप’ लॉन्च किया है। ये सिर्फ ऐप नहीं, ईमान को तकनीक से जोड़ने की पहल है। अब चाहे कोई हिंदुस्तान में हो या सात समंदर पार – मस्जिद की अजान कानों तक पहुंचेगी, दिल तक उतरेगी।
इस ऐतिहासिक पहल के केंद्र में हैं – आमदार साजिद खान पठान। उन्होंने न सिर्फ इस कार्यक्रम में शिरकत की बल्कि पूरे आयोजन को गरिमा दी। उनकी मौजूदगी ने साफ कर दिया कि धर्म और प्रगति साथ चल सकते हैं, बस इरादा नेक होना चाहिए।
मस्जिद ट्रस्ट के अध्यक्ष जावेद जकारिया, मुत्वाली एजाज सूर्या, नायब मुत्वाली हाजी यासीन बच्चव, सदस्य हाजी फारूक भुरानी, हाजी हनीफ मलक, हाजी इम्तियाज गनोड़वाला, और लीगल एडवाइजर एडवोकेट मोहम्मद परवेज़ डोकड़िया – सभी ने मिलकर इस क्रांतिकारी सोच को शक्ल दी।
Huda’s Technologies, Pune के डायरेक्टर सादुल्लाह और प्रोजेक्ट मैनेजर बशीर काजी ने इस ऐप के फीचर्स को पेश किया – लाइव अजान, किबला डाइरेक्शन, विशेष आयोजनों की सूचना और स्मार्ट इंटरफेस।
हाशम सेठ चैरिटेबल ट्रस्ट के सहयोग से मस्जिद पहले ही सोलर सिस्टम लगाकर पर्यावरण की सेवा में लगी थी। अब डिजिटल सेवा में भी मिसाल कायम की।
इस पूरी पहल में कच्छी मस्जिद के साथ खड़े रहना – वक्त की पुकार है, और साजिद खान पठान जैसे नेता उस जवाब का नाम हैं।
एक सच्ची मिसाल – जहां मस्जिदों की मीनारें अब सिर्फ बुलाती नहीं, जागरूक भी करती हैं।