आज बात करेंगे अकोला से उड़ती उस उम्मीद की, जो “ड्रग्स मुक्त भारत” की तरफ बढ़ती एक रैली में बदल गई।
दिनांक था २६ जून, मौका था जागतिक अंमली पदार्थविरोधी दिन, और जगह थी अकोला, जहां पुलिस की वर्दी सिर्फ कानून का नहीं, समाज के पुनर्निर्माण का भी प्रतीक बनी।
अकोला जिल्हा पुलिस अधीक्षक अर्चित चांडक (IPS) की संकल्पना से जन्मा था – “मिशन उडान – व्यसनमुक्तीची एक संकल्प मोहिम”। और फिर… क्या अधिकारी, क्या विद्यार्थी – सबने मिलकर ये दिखाया कि लड़ाई नशे से है, और ये अकेले की नहीं, सबकी है।
सुबह 10:30 बजे, जब पोलिस अधीक्षक कार्यालय से मोटरसायकल रैली निकली, “Say No to Drugs” की गूंज सिर्फ सड़कों पर नहीं, ज़हन में भी फैल गई।
संध्या 4:00 बजे टॉवर चौक और 6:00 बजे रेलवे स्टेशन चौक पर जब पथनाट्य हुआ, तो ड्रग्स की बर्बादी का सच लोगों की आंखों में उतर गया।
10,000 से ज्यादा विद्यार्थियों ने नशामुक्त रहने की शपथ ली, और पुलिस स्टेशन में भी अधिकारी नहीं पीछे रहे – अर्चित चांडक, सतीश कुलकर्णी, अजित कुंभार, डॉ. सुनील लहाने, और योगेश कुंभेशकर जैसे वरिष्ठों की मौजूदगी ने मिशन को और विश्वास दिलाया।
सहभागी संस्थाएं – साने गुरुजी मंडळ, नाट्यकर्मी युवा मंच, और एन्करेज एज्युकेशनल फाउंडेशन – ने अपनी कला के ज़रिए आवाज़ दी।
और इस सबके बीच, जनता ने दिखाया कि “मिशन उडान” सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि अकोला की आत्मा बन गया है – ड्रग्स के खिलाफ समाज की एकजुट पुकार।
सेवेत सदैव तत्पर – ये नारा आज सिर्फ शब्द नहीं, एक सच्ची कार्रवाई बनकर सामने आया।