अकोला, जहां गोवंश की पूजा होती है, वहीं एक 21 साल का नौजवान—मोहम्मद रोशन शेख मुसा—इस पवित्र भावना को बार-बार लहूलुहान करता रहा। गोवंश चोरी, अवैध शस्त्र, हिंसा, शांतता भंग, हद्दपार के आदेश की अनदेखी… इस सूची में अपराधों की भरमार है।
ये नाम महज़ एक इंसान का नहीं, एक पूरे आपराधिक इतिहास का पन्ना है।
कागजीपुरा मस्जिद और मच्छी मार्केट की गलियों से निकलकर ये शख्स बार-बार कानून की आंखों में धूल झोंकता रहा। उसे रोका भी गया, हद्दपार किया गया, लेकिन फिर भी वो कानून को ठेंगा दिखाते हुए अकोला की शांति में बार-बार खलल डालता रहा।
लेकिन अब—खेल खत्म हुआ।
पुलिस अधीक्षक अर्चित चांडक ने इस गंभीर गुन्हेगार को MPDA एक्ट के तहत स्थानबद्ध करने का प्रस्ताव जिल्हाधिकारी अजित कुंभारे के समक्ष रखा। उन्होंने भी हर पहलू की बारीकी से जांच की, और आदेश पारित किया—एक साल के लिए जेल!
पर ये कहानी यहीं नहीं रुकती। आदेश मिलते ही मोहम्मद रोशन फरार हो गया। पुलिस की आंखों में धूल झोंककर वह गायब हो गया। लेकिन कहते हैं ना—कानून की पकड़ भले धीमी हो, पर मजबूत होती है।
17 जून 2025 को आखिरकार वो पकड़ में आ गया। जिला कारागृह की सलाखों के पीछे अब वो बंद है। उसका एक साल का गिनती वाला समय अब शुरू हो चुका है।
इस कार्रवाई में जिन अफसरों ने दिन-रात एक किया—अपर पुलिस अधीक्षक अभय डोंगरे, SDPO सतीश कुलकर्णी, PI शंकर शेलके, PSI माजिद पठान और रामदासपेठ थाने की टीम—उनके प्रयासों से ही ये संभव हुआ।
और अंत में एक सख्त संदेश—पुलिस अधीक्षक चांडक का इशारा साफ है:
अकोला में चुनाव, त्योहार या सामान्य दिन—अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं। MPDA और कानून के हर हथियार का इस्तेमाल होगा।