ये अकोला है जनाब… जहां हर चुनाव से पहले वादों की बारिश होती है, लेकिन चुनाव खत्म होते ही गरीबों की बस्तियों में सूखा पड़ जाता है — वादों का भी और उम्मीदों का भी।
आज Akola City के सैकड़ों वंचित परिवारों की तरफ़ से AIMIM ने वो सवाल पूछा, जिसे सरकार ने सालों से अनसुना कर रखा है। नाजूक नगर, मरघट, संजय नगर और अकोट फाइल जैसे इलाकों के करीब 1500 परिवार, आज भी Gharkul Yojana और पट्टों से वंचित हैं।
AIMIM ने मुख्यमंत्री को बैनर दिखाकर सीधा संदेश दिया:
“मुख्यमंत्री साहब! अकोला के 1500 घरों को उनका हक़ कब मिलेगा?”
ये महज़ बैनर नहीं था — ये उन खाली दीवारों की चीख थी जिन पर छत का सपना अधूरा है।
AIMIM नेताओं ने तंज कसते हुए कहा:
“वोट लेने के लिए जो दरवाज़े-दरवाज़े दौड़ा गया, आज उन्हीं दरवाज़ों को हक़ से वंचित किया जा रहा है।”
उन्होंने एलान किया कि जब तक इन गरीबों को उनका legal right — घर और पट्टा — नहीं मिलता, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
Akola News की ये रिपोर्ट Akola City News के उस सच को सामने लाती है, जिसे सत्ता ने जानबूझकर पर्दे के पीछे रखा है।