अकोला पुलिस ने एक बार फिर दिखा दिया कि रातें सिर्फ खामोश नहीं होतीं, कुछ रातें कानून की जागरूकता की गवाह बनती हैं।
16 जुलाई की रात 10 बजे से लेकर 17 जुलाई की सुबह 5 बजे तक – जब शहर नींद में था, तब अकोला जिला पुलिस ने 8 घंटे तक नाकाबंदी और कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाया। आदेश था जिले के पुलिस अधीक्षक अर्चित चांडक का – और अमल हुआ पूरे ज़िले में।
39 वरिष्ठ अधिकारी और 213 पुलिसकर्मी – कुल मिलाकर 252 जवानों की टीम ने अकोला की सड़कों को छाना।
रातभर 740 वाहनों की चेकिंग हुई। 147 गाड़ियों पर कार्रवाई और ₹55,100 का जुर्माना ठोका गया।
और ये तो सिर्फ ट्रैफिक का हिस्सा है…
अब असल कहानी पर आइए —
129 समन तामील हुए।
52 जमानती वारंट और 16 गिरफ्तारी वारंट अंजाम तक पहुंचे।
79 निगरानी बदमाशों से पूछताछ हुई।
मपोका के तहत 18 मामले दर्ज हुए।
भारतीय हथियार कानून के अंतर्गत 7 मामले — यानी हथियार जब्ती हुई है।
8 गुंडों पर मामला दर्ज।

पुलिस सिर्फ बदमाशों को नहीं खोज रही थी, बल्कि शहर की संवेदनशील नसों को भी टटोल रही थी —
80 लॉज, 72 ATM की गहन जांच की गई।
यह ऑपरेशन सिर्फ एक कार्रवाई नहीं थी, यह एक संदेश था
कि अकोला की पुलिस अब “इंतज़ार” नहीं करेगी… “इक़दाम” करेगी।
पुलिस अधीक्षक अर्चित चांडक खुद नाकाबंदी पॉइंट्स पर मौजूद रहे, हर मोर्चे का मुआयना किया और ज़मीन पर खड़े रहकर निर्देश दिए।
कार्रवाई को अंजाम तक पहुँचाने के लिए अपर पुलिस अधीक्षक, सभी उपविभागीय पुलिस अधिकारी, सभी थाना प्रभारी अधिकारी और सहायक अधिकारी — इस तरह कुल 39 अधिकारी और 213 पुलिस कर्मियों की नियुक्ति की गई थी। यही वह टीम थी, जिसने रातभर पूरे अकोला जिले में कानून की मौजूदगी का एहसास कराया।
इस पूरे ऑपरेशन का मकसद साफ़ था —
जुर्म की जड़ तक पहुंचना, और अपराधियों को यह जताना कि पुलिस अब हर कोने पर मौजूद है।
पुलिस ने एलान किया है कि ऐसे ऑपरेशन आगे भी होंगे।
यानी अब गुन्हेगारों की रातें भी खौफ में कटेंगी।
और हम कहेंगे – शुक्र है, कोई तो है जो रातभर हमारे लिए जाग रहा है…