अकोला में कुछ युवा अपने ढोल की थाप से एक नई सामाजिक धड़कन लिख रहे हैं। नाम है — संकल्प प्रतिष्ठान, एक संस्था जो पिछले 11 वर्षों से सिर्फ ढोल नहीं बजा रही, बल्कि समाज के लिए नई लय रच रही है।
जब समाज सेवा सिर्फ चेक लिखने या भाषण देने तक सीमित हो चुकी हो, तब संकल्प प्रतिष्ठान ने वादन के माध्यम से सेवा का एक अनूठा रास्ता चुना। गणेशोत्सव हो या नवरात्रि, इन युवाओं का पथक जहां भी गूंजता है, वहां सिर्फ ताल नहीं, एक भरोसे की गूंज सुनाई देती है। यह वही मानधन है जिसे वे हर वर्ष किसी जरूरतमंद संस्था को समर्पित करते हैं। इस बार उनका साथ मिला दायित्व फाउंडेशन को — जो निराश्रितों, वृद्धों और अनाथों के लिए आशा की किरण है।
और अब एक नया बीज बोया गया है — अकोला में विद्युत/गैस शवदाहिनी यंत्र की स्थापना। एक ऐसा प्रोजेक्ट जो पर्यावरण, सम्मान और आधुनिकता की बात करता है। खर्च है 50 लाख का… लेकिन भरोसा है समाज के उन हाथों का, जो अब भी देना जानते हैं।
कला जब सेवा बन जाए, तब हर ताल में संवेदना होती है। और अकोला के इन युवाओं ने साबित कर दिया है — ढोल बजता है तो समाज की आत्मा भी जागती है।