अकोला पुलिस ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वर्दी सिर्फ कानून का पहरा नहीं देती, बल्कि समाज में बदलाव की नींव भी रखती है। “मिशन उडान” के अंतर्गत, अमली पदार्थों के खिलाफ जनजागृति के लिए पुलिस अधीक्षक अर्चित चांडक के मार्गदर्शन में जो पोस्टर स्पर्धा आयोजित की गई, उसने हजारों बच्चों और युवाओं के मन में बदलाव की लौ जला दी।
बात सिर्फ स्पर्धा की नहीं है, सोच की है।
अमली पदार्थ – मृत्यु का मार्ग इस विषय पर 5400 से ज्यादा बच्चों ने अपने विचार रंगों में पिरोकर प्रस्तुत किए। विजेता रहे — अ-गट में प्राची तायडे, हंसीका पेढीवाल और अक्षय पाटील, वहीं ब-गट में मधुरा थोरात, गायत्री खोटरे और मोहिनी विश्वकर्मा ने प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार हासिल किए। इन्हें पुलिस अधीक्षक चांडक साहब के हाथों सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन पल्लवी डोगरे और गोपाल मुकुंदे ने किया।
इस अवसर पर सतिष कुलकर्णी (उपविभागीय पोलीस अधिकारी) ने उपक्रम की आवश्यकता बताई, और एन्करेज फाउंडेशन द्वारा प्रस्तुत पथनाट्य ने समाज को झकझोर दिया।
सिर्फ बच्चे नहीं, बल्कि सामाजिक संस्थाएं भी आगे आईं।
साने गुरूजी मंडळ, नाट्यकर्मी युवा मंच, पंचफुलादेवी समाज कार्य विद्यालय खडकी, और परशुराम नाईक विद्यालय बोरगांव — सभी को मंच मिला, और पुलिस की ओर से सन्मान भी।

इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में पुलिस अधिकारियों श्री शंकर शेलके, गणेश जुमनाके, संदीप तवाडे, विलास बंकावार, आशिष आमले, दिपाली राठोड, भारती ठाकुर, और स्वप्ना चौधरी ने दिन-रात एक किया।
अंत में राष्ट्रगीत हुआ, पर असली राष्ट्र निर्माण की शुरुआत आज के इन छोटे-छोटे कलाकारों ने की।
अकोला से रविश कुमार की तरह — कहिए, क्या आपके शहर की पुलिस सिर्फ केस सुलझा रही है, या समाज भी गढ़ रही है?