अकोला से गुज़रते एक वाहन में मंत्री नहीं थे, लेकिन उनकी सुरक्षा में तैनात कर्मी ज़रूर थे। और वही वाहन जब मुर्तिज़ापुर महामार्ग पर हादसे का शिकार हुआ, तो सत्ता की रफ्तार और सिस्टम की सच्चाई—दोनों की झलक मिल गई।
मृद व जलसंधारण मंत्री संजय राठोड को उनके अगले कार्यक्रम के लिए जामनेर में छोड़ा गया था। उनके बाद सुरक्षा कर्मियों का वाहन यवतमाल लौट रहा था, लेकिन अकोला-मुर्तिज़ापुर मार्ग पर हादसा हुआ। चार पुलिसकर्मी ज़ख्मी हुए—चालक अनिल ओंकार मडपासे, SPU यूनिट के फहीम खान, प्रफुल्ल वाळके और गौतम नाईक।
ज़ख्म गहरे नहीं थे, मगर सवाल ज़रूर छोड़ गए हैं—क्या मंत्री की सुरक्षा करने वाले खुद महफूज़ हैं?
ख़बर मिलते ही मंत्री राठोड सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पहुंचे और जख्मियों की विचारपूस की। उनकी यह संवेदना सराहनीय है, लेकिन सिस्टम के वाहन की हालत और व्यवस्था की रफ्तार—इस पर कौन पूछेगा सवाल?
Akola News के लिए यह महज़ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि सुरक्षा और संवेदना की दो ध्रुवों की कहानी है।
क्योंकि खबर सिर्फ ये नहीं कि “मंत्री पहुंचे अस्पताल…”, असली खबर ये है कि हम कब समझेंगे कि जिम्मेदारी सिर्फ फोटो खिंचवाने तक नहीं, सिस्टम सुधारने तक होनी चाहिए।